मिलिए पहली MBBS महिला सरपंच से 24 साल की उम्र में बनी सरपंच – पुरे गाँव में सबसे ज्यादा पढ़ी लिखी लडकी बनी सरपंच
हमारे देश में बेटिया हर एक फिल्ड में नये कीर्तिमान कायम कर रही हैं चाहे बात पढाई की हो या फिर खेलकूद की लेकिन आजकल हमारे देश की बेटिया पुरे गाँव का प्रतिनिधित्व भी कर रही हैं ग्राम सरपंच के रूप में . आज हम आपको आज ऐसी बेटी से मिलवाने जा रहे हैं जो 24 साल की उम्र में सरपंच बनी हैं .
हमारे देश में बेटिया हर एक फिल्ड में नये कीर्तिमान कायम कर रही हैं चाहे बात पढाई की हो या फिर खेलकूद की लेकिन आजकल हमारे देश की बेटिया पुरे गाँव का प्रतिनिधित्व भी कर रही हैं ग्राम सरपंच के रूप में . आज हम आपको आज ऐसी बेटी से मिलवाने जा रहे हैं जो 24 साल की उम्र में सरपंच बनी हैं .
पहली MBBS सरपंच – 24 साल की उम्र में सरपंच बनी –
रिपोर्ट के अनुसार – हरियाणा के मेवात के एक छोटे से गांव की रहने वाली 24 वर्षीय युवती अपने गांव की सबसे ज्यादा पढ़ी-लिखी सरपंच बन गई है .पांच मार्च को सरपंच के उपचुनाव में शाहनाज को गरहजन गांव के लोगों ने सरपंच बनाया हैं .साथ ही वह पहली MBBS महिला सरपंच भी बन गई हैं .
एमबीबीएस कर रही हैं युवा सरपंच शाहनाज –
मेवात के छोटे से गाँव गरजहांगीर की युवा सरपंच शाहनाज मुरादाबाद के तीर्थांकर महावीर मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रही है . मेवात का यह छोटा सा गांव हरियाणा और राजस्थान के भागों में पड़ता है। शाहनाज न केवल गांव की सबसे युवा सरंपच बनी हैं, बल्कि वह गांव के इतिहास में अभी तक की सबसे ज्यादा पढ़ी-लिखी युवती हैं .
दादा के अयोग्य घोषित होने के बाद लड़ी चुनाव
शहनाज जिस ग्राम पंचायत से सरपंच चुनी गई हैं उस उसके सरपंच उनके दादा हनीफ खान थे, लेकिन राजस्थान में सरपंच के लिए 10वीं पास योग्यता निर्धारित किए जाने के कारण वह अयोग्य घोषित हो गए हैं। सरकार के इस फैसले के खिलाफ उनके दादा हाईकोर्ट तक गए लेकिन वहां से भी अयोग्य घोषित कर दिए गए। शहनाज़ ने एक न्यूज वेबसाइट को बताया, "पिछले छह महीने में मेरी ज़िंदगी अचानक बदल गई। मुझसे पहले मेरे दादाजी भी यहां से सरपंच थे। लेकिन पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट ने वो चुनाव खारिज़ कर दिया था। उसके बाद से ही चुनाव में घर से कौन खड़ा होगा, इसकी चर्चा शुरू हुई।" वैसे, इसी महीने की 30 तारीख़ से शहनाज़ को गुरुग्राम के सिविल अस्पताल में अपनी इंटर्नशिप शुरू करनी है। वो आगे पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी करनी चाहती थीं। लेकिन डॉक्टर बनने से पहले शहनाज़ सरपंच बन गईं। शहनाज़ राजनीति में उतरना चाहती थीं, लेकिन इतनी जल्दी भी नहीं।
पढ़ेगी बेटिया तभी आगे बढ़ेगी बेटिया –
आपको बता दे की सोमवार को सरपंच पद के शपथ ग्रहण समारोह में शपथ लेने के बाद शाहनाज ने कहा, “मेवात इलाके के लोग अपनी बेटियों को स्कूल नहीं भेजते हैं . मैं उनके सामने अपना उदाहरण पेश करना चाहूंगी कि देखिए शिक्षा एक महिला को क्या स्थान दिला सकती है।” शाहनाज जल्द ही गुड़गांव के सिविल अस्पताल में अपनी इंटर्नशिप शुरू करने जा रही हैं और इसके बाद वे मेडिकल में पोस्ट ग्रैजुएट की परीक्षा भी देंगी .